कुंडली में नवम भाव को भाग्य का भाव और इस भाव के स्वामी को भाग्येश या नवमेश कहा जाता है।यह आपके भाग्य का निर्धारक भाव है। आपके भाग्य के अच्छे या खराब होने का पता इससे चलता है कि आपके भाग्य भाव अर्थात् नवम् भाव की स्थिति कैसी है और इस भाग्य भाव का स्वामी भाग्येश कुंडली में किस स्थिति में है।
कुंडली शास्त्रों के अनुसार आपका भाग्य इससे पता चलता है कि नवम् या भाग्य भाव का स्वामी भाग्येश आपके लग्न से कारक है या अकारक, भाग्येश किस भाव में स्थित है, किन ग्रहों के साथ स्थित है, अपने घर से कितनी दूर स्थित है और भाग्येश पर किन ग्रहों की दृष्टि है। साथ ही नवम् भाव में कौन से ग्रह हैं, किन ग्रहों की दृष्टि है ये सभीं बातें जातक के भाग्य का निर्धारण करती हैं।
इस भाव से संबंधित कैरियर प्रायः जातक के लिए शुभ होता है। हालांकि दसम् भाव और ग्यारवां भाग भी जातक के कैरियर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
नवम भाव में शुभ ग्रह होने पर या फिर नवमेश की स्थिति कुंडली में शुभ होने पर जातक भाग्यशाली होता है। दूसरी तरफ लग्नेश त्रिक भाव में या शत्रु राशि में या शत्रु ग्रह के साथ होने पर जातक का भाग्य कमजोर हो जाता है। नवम् भाव में नवमेश या लग्नेश के शत्रु ग्रह होने या शत्रु ग्रहों की दृष्टि होने से भी जातक के भाग्य में गिरावट होती है।
नवम् भाव और भाग्येश को सशक्त बनाने के ज्योतिष शास्त्रों में कई उपाय दिये गए हैं जो इस पर निर्भर है कि भाग्येश कौन सा ग्रह है, नवम् भाव में कौन से ग्रह हैं और उनपर किन ग्रहों की दृष्टि है।
कुंडली में भाग्योदय करने वाले ग्रह को जाने। कैरियर और जीवन में मिलेगी सफलता।
July 06, 2025